Monday, 4 November 2013

TERI TASVEER KO FIR SE MAINE DEKHA THA.

तेरी तस्वीर को फिर से मैंने देखा था ,
ज़ुल्फ़ों के बिखराव को ,
तेरे हंसी के बेबाकपन को ,
चेहरे की मासूमियत को ,
तेरे आँखों की नशीली फरियाद को ।
मर ही तो गया था मैं ,
खुदा कि कारीगरी की सबसे खुबसूरत चाँद पर ।
पर अचानक तुझसे मिलने का ख्याल आया ,
सोचा तेरी यादों में मरने से अच्छा है ,
तेरी सांसों में जीयूं ,तेरी सांसों में मरुँ ।
तेरी ज़ुल्फ़ों से खेलूं ,तेरी हंसी से कुछ हंस कर बोलूं ,
तेरी आँखों कि नशीली फरियाद को मैं मरते दम तक न भूलूँ ।
इसलिए तो मैंने तेरी तस्वीर फिर से देखा था ,
फर्क बस इतना था कि वो मेरे अब दिल में उतर आये  थे । 

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