दिल की गहराई मैं डूबी थी दो चार बातें,
सामने वो आयी हौले से मुस्कुरायी,
कहा कैसे हो ?
कोई मिली या डूबे हुए हो किसी कुमारी के ख्यालों में,
जो तुम्हें समझे और तुम उसे,
जज्बातों के ढेर में उलझे हुए,उस पटना की लड़की के ख्याल में,
जिसकी अब शादी हो गयी.
या फिर ताक रहे हो कि कोई मिल जाए उस सड़क के किनारे,
जो दे सके तुम्हारी नज़रों का जवाब अपनी झुकती नज़रों से,
या फिर बौखलाए हुए हो, की चंद लफ्ज़ किसी को बता पाऊं,
अपने दिल की जबानी से.
मैं सामने बैठी हूँ, फर्क बस इतना है,
की तुम अब भी ताक रहे हो सड़क के उस पार,
उस तृष्णा की चाह लिए,
बैठे हो गुमसुम,
धडकनों का गुबार लिए, कचोटती साँसों का हाहाकार लिए!1
सामने वो आयी हौले से मुस्कुरायी,
कहा कैसे हो ?
कोई मिली या डूबे हुए हो किसी कुमारी के ख्यालों में,
जो तुम्हें समझे और तुम उसे,
जज्बातों के ढेर में उलझे हुए,उस पटना की लड़की के ख्याल में,
जिसकी अब शादी हो गयी.
या फिर ताक रहे हो कि कोई मिल जाए उस सड़क के किनारे,
जो दे सके तुम्हारी नज़रों का जवाब अपनी झुकती नज़रों से,
या फिर बौखलाए हुए हो, की चंद लफ्ज़ किसी को बता पाऊं,
अपने दिल की जबानी से.
मैं सामने बैठी हूँ, फर्क बस इतना है,
की तुम अब भी ताक रहे हो सड़क के उस पार,
उस तृष्णा की चाह लिए,
बैठे हो गुमसुम,
धडकनों का गुबार लिए, कचोटती साँसों का हाहाकार लिए!1
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