मोहल्ले का प्यार ,न जाने कितने बीमार ।
सुबह हुई आंखें चार ,शाम को हुआ इकरार ,
शुरु हुई ताका - ताकि ,
और न ख़त्म होने वाला इंतज़ार ,
हुई फिल्मों की फंतासी चालू ,
शाहरुख़ बना मैं ,काजल की है दरकार ,
मिल जाने पर आपको भी खुश कर देंगे सरकार ,
मोहल्ले का प्यार ,न जाने कितने बीमार ।
आपा -धापी में एक लड़की पसंद आयी ,
आंखें लड़ी ,बातें बढ़ी ।
फिर क्या था
कल से सोसाइटी में अपनी इज्ज़त बढ़ी ।
शुरु हुआ ख्वाबों का सिलसिला ,
चाँद तारों को तोड़ने की बातें ,
और कभी न जुदा होने की कसमें खाते ,
वो मेरी सोना और मैं उसका यार ,
मोहल्ले का प्यार ,न जाने कितने बीमार ।
समस्या खड़ी हुई घर में ,
नालायक नाक कटा देगा शहर में ,
हुई मेरी बाप से तकरार ,
और न चाहता हुए भी करना पड़ा
घर का बहिष्कार ,
मोहल्ले का प्यार ,न जाने कितने बीमार ।
कहते हैं जब पेट नहीं पलता
तब दिल नहीं दिमाग है चलता ।
आ गया हूँ लौटकर ,माँ मुझे माफ़ करो ,
खाना दो गरम -गरम ,आ गयी मुझको शरम ,
बिछा दो ज़रा चारपाई ,दबा दो मेरा पैर ,
और पापा से कह देना वो करे न मुझसे बैर ,
उनका है मुझ पर पूरा अधिकार ,
गलती करूं तो लगा दें दो -चार फटकार ,
मोहल्ले का प्यार ,न जाने कितने बीमार ।
शायद सुधर चूका था मैं
माँ -पापा भी खुश थे ,
फिर एक दिन फोन की घंटी बजी ,
आवाज आयी जानू ,फिर मैं मानू या ना मानू ,
अब मुझको है बस उसका ऐतबार ,
मोहल्ले का प्यार ,न जाने कितने बीमार ।
भाग रहा था लड़की को लेकर ,
पर पकड़ा गया बीच सड़क पर ,
शुरु हुई गाली -गलोज ,मार - पिटाई ,
फ़ोन हुआ पुलिस की गाड़ी आयी ।
किडनैपिंग का हुआ केस दर्ज ,
प्यार बन गया मेरे लिए बस एक मर्ज ।
दुनिया की हर सजा का मैं हक़दार ,
माँ और पापा का मैं गुनेहगार ,
काटती है मुझे इस जेल की दीवार ,
अब भी कहता हूँ
वो मेरी सोना और मैं उसका यार ,
मोहल्ले का प्यार ,न जाने कितने बीमार ।
सुबह हुई आंखें चार ,शाम को हुआ इकरार ,
शुरु हुई ताका - ताकि ,
और न ख़त्म होने वाला इंतज़ार ,
हुई फिल्मों की फंतासी चालू ,
शाहरुख़ बना मैं ,काजल की है दरकार ,
मिल जाने पर आपको भी खुश कर देंगे सरकार ,
मोहल्ले का प्यार ,न जाने कितने बीमार ।
आपा -धापी में एक लड़की पसंद आयी ,
आंखें लड़ी ,बातें बढ़ी ।
फिर क्या था
कल से सोसाइटी में अपनी इज्ज़त बढ़ी ।
शुरु हुआ ख्वाबों का सिलसिला ,
चाँद तारों को तोड़ने की बातें ,
और कभी न जुदा होने की कसमें खाते ,
वो मेरी सोना और मैं उसका यार ,
मोहल्ले का प्यार ,न जाने कितने बीमार ।
समस्या खड़ी हुई घर में ,
नालायक नाक कटा देगा शहर में ,
हुई मेरी बाप से तकरार ,
और न चाहता हुए भी करना पड़ा
घर का बहिष्कार ,
मोहल्ले का प्यार ,न जाने कितने बीमार ।
कहते हैं जब पेट नहीं पलता
तब दिल नहीं दिमाग है चलता ।
आ गया हूँ लौटकर ,माँ मुझे माफ़ करो ,
खाना दो गरम -गरम ,आ गयी मुझको शरम ,
बिछा दो ज़रा चारपाई ,दबा दो मेरा पैर ,
और पापा से कह देना वो करे न मुझसे बैर ,
उनका है मुझ पर पूरा अधिकार ,
गलती करूं तो लगा दें दो -चार फटकार ,
मोहल्ले का प्यार ,न जाने कितने बीमार ।
शायद सुधर चूका था मैं
माँ -पापा भी खुश थे ,
फिर एक दिन फोन की घंटी बजी ,
आवाज आयी जानू ,फिर मैं मानू या ना मानू ,
अब मुझको है बस उसका ऐतबार ,
मोहल्ले का प्यार ,न जाने कितने बीमार ।
भाग रहा था लड़की को लेकर ,
पर पकड़ा गया बीच सड़क पर ,
शुरु हुई गाली -गलोज ,मार - पिटाई ,
फ़ोन हुआ पुलिस की गाड़ी आयी ।
किडनैपिंग का हुआ केस दर्ज ,
प्यार बन गया मेरे लिए बस एक मर्ज ।
दुनिया की हर सजा का मैं हक़दार ,
माँ और पापा का मैं गुनेहगार ,
काटती है मुझे इस जेल की दीवार ,
अब भी कहता हूँ
वो मेरी सोना और मैं उसका यार ,
मोहल्ले का प्यार ,न जाने कितने बीमार ।
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