चरित्र की चित्रा में हर चित्र को तोलता हूँ ,
मेरी क्या मजाल जो किसी से बोलता हूँ ,
चुप हूँ , खामोश हूँ , मौन हूँ तुम्हारे लिए ,
इस बात से अनजान तुम , यूँ ही इतराये हुए ,
तुम्हे मैं महसूस करता तुम्हारे इक नाम से,
चरित्र की चित्रा में तुम इसे दफनाये हुए ।
बेगैरत था जो मैंने तुम्हे दिल से लगाया ,
मुझे क्या पता था तूने मुझे हर मोड़ पर जलाया ,
तेरे इक नाम से मुझे अब डर लगता है ,
चरित्र की चित्रा का ना जाने हर चित्र ,
क्यूँ दाग-दाग सा लगता है ..............।
मेरी क्या मजाल जो किसी से बोलता हूँ ,
चुप हूँ , खामोश हूँ , मौन हूँ तुम्हारे लिए ,
इस बात से अनजान तुम , यूँ ही इतराये हुए ,
तुम्हे मैं महसूस करता तुम्हारे इक नाम से,
चरित्र की चित्रा में तुम इसे दफनाये हुए ।
बेगैरत था जो मैंने तुम्हे दिल से लगाया ,
मुझे क्या पता था तूने मुझे हर मोड़ पर जलाया ,
तेरे इक नाम से मुझे अब डर लगता है ,
चरित्र की चित्रा का ना जाने हर चित्र ,
क्यूँ दाग-दाग सा लगता है ..............।
Kohinoor.
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